
दाग़ दुश्मन का किला जाएँगे , मरते मरते । ज़िन्दा दिल सब को बना जाएंगे , मरते मरते । हम मरेंगे भी तो दुनिया में ज़िन्दगी के लिये , सब को मर मिटना सिखा जाएंगे , मरते मरते । सर भगत सिंह का जुदा हो गया तो क्या हुया , कौम के दिल को मिला जाएंगे , मरते मरते । खंजर -ए -जुल्म गला काट दे परवाह नहीं , दुक्ख गैरों का मिटा जाएंगे , मरते मरते । क्या जलाएगा तू कमज़ोर जलाने वाले , आह से तुझको जला जाएंगे , मरते मरते । ये न समझो कि भगत फ़ांसी पे लटकाया गया , ...