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हनुमान चालीसा

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                          ══   हनुमान चालीसा ══ *  दोहा                            श्रीगुरु चरन सरोज रज                निज मनु मुकुरु सुधारि ।                 बरनउँ रघुबर बिमल जसु                जो दायकु फल चारि ॥   अर्थ :    श्री गुरु महाराज के चरण कमल की धूल से अपने मन रूपी दर्पण को पवित्र करके श्री रघुवीर के निर्मल यश का वर्णन करता हूँ जो धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष के दानी हैं। Mean :  By purifying the mirror of my mind with the dust of the lotus feet of Shri Guru Maharaj, I describe the pure fame of Shri Raghuveer who is the giver of Dharma, Artha, Kama and Moksha.               बुद्धिहीन तनु जानिके ,              ...

अंतिम यात्रा

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था मैं नींद में और मुझे इतना  सजाया जा रहा था, बड़े प्यार  से मुझे नहलाया जा रहा था.    था पास मेरा हर अपना उस  वक़्त, फिर भी मैं हर किसी के  मन से भुलाया जा रहा था.    मालूम नहीं क्यों हैरान था हर कोई  मुझे सोते देख कर, जोर जोर से  रोकर मुझे जगाया जा रहा था.    मोहब्बत की इन्तहा थी जिन दिलों  में मेरे लिए, उन्हीं दिलों के हाथों  आज मैं जलाया जा रहा था.    जो कभी देखते भी न थे मोहब्बत  की निगाहों से, उनके दिल से भी  प्यार मुझ पर लुटाया जा रहा था.    ना जाने था वो कौन सा अजब  खेल मेरे घर में, बच्चो की तरह  मुझे कंधे पर उठाया जा रहा था.    काँप उठी मेरी रूह वो मंज़र  देख कर, जहाँ मुझे हमेशा के  लिए सुलाया जा रहा था.        इस दुनिया मे कोई किसी का हमदर्द  नहीं होता , लाश को शमशान में रखकर  अपने लोग ही पुछते हैं ।  " और कितना वक़्त लगेगा "
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            दाग़ दुश्मन का किला जाएँगे , मरते मरते ।            ज़िन्दा दिल सब को बना जाएंगे , मरते मरते ।             हम मरेंगे भी तो दुनिया में ज़िन्दगी के लिये ,            सब को मर मिटना सिखा जाएंगे , मरते मरते ।            सर भगत सिंह का जुदा हो गया तो क्या हुया ,             कौम के दिल को मिला जाएंगे , मरते मरते ।               खंजर -ए -जुल्म गला काट दे परवाह नहीं ,               दुक्ख गैरों का मिटा जाएंगे , मरते मरते ।                  क्या जलाएगा तू कमज़ोर जलाने वाले ,                आह से तुझको जला जाएंगे , मरते मरते ।             ये न समझो कि भगत फ़ांसी पे लटकाया गया ,    ...